उद्देश्य- शरीर निर्माण
मुझे लगता है कि परमब्रहम् सतपुरूष द्वारा प्रकृति का सही रूप से स्थाई पूर्वक, संचालन, विकास, गुण, कार्य, क्रियाये, प्रभाव, उपयोगिता, निश्चितता, एकाग्रता, उर्जा (शक्ति), तत्वों, द्रव्यो, पंचतत्व- मोक्ष, पाप-पून्य (लेखाजोखा), अन्य उपयोगी खनिज पदार्थो जल, वायु, अग्नि, आकाश, पृथ्वी, चुम्बकीय गुण, मन, आत्मा व अन्य सभी वांछिक क्रियाओं को सुचारू रूप से प्रतिपादित व नियंत्रित संचालन, प्रभाव आदि कार्यों को सभी दिशा में विस्तार हेतु परमब्रह्म सतपुरुष को मानव शरीर निर्माण करने की आवश्यकता पड़ी जो एक ईकाई तंत्रों द्वारा सम्पादित व सभी कार्यो का संचालन व विकाश व उद्भव सम्भव हो सके। ऐसी अवधारणा युक्त प्रकृति पुरूष द्वारा मानव शरीर निर्माण की आवश्यकता पड़ी होगी।
जिससे यह काल्पनिक द्वारा सत्यता पूर्वक प्रकृति द्वारा प्रतिवादित ऊर्जा स्वरूप व दीर्घायू, सुन्दर व स्वस्थ व स्वच्छ, निःस्वार्थ मानव शरीर का निर्माण कर एक प्रकार से कृतज्ञ किया गया व आज हम सभी मानव शरीर रूपी काया को धारण किये हुये है। जिसका प्रमाण सृष्टि निर्माण से जाना जाता है। जिसे हम सभी पंचतत्वों से निर्मित शरीर एक ऐसी प्रकृति प्रदन्त चमत्कारी शक्तियां विद्यमान है जिसका रहस्य जानना जरूरी है।
प्राचीन महर्षि ऋषि मुनियों ने अपनी वर्षों तपस्या, ध्यान, समाधि से यह सच्चाई सिद्ध कर दिखाया है कि मानव शरीर एक ईकाई तंत्रो द्वारा घिरा व संचालित होता है। इसका प्रमाण योगा साईस में भी उल्लेख किया गया है।
जिससे ज्ञात होता है कि मानव शरीर एक श्रृंखला में विस्थातिप व निरूपित है जो ऐच्छिक व अनैऐच्छिक गतिविधियों, कार्यों द्वारा प्रतिपादित, संचालित व नियंत्रित्र है।
यही सही मायने में शरीर निर्माण का मुख्य व पूर्ण उद्देश्य है।
जैसे___
मानव जीवन अमूल्य व अनमोल है जिसमें अच्छाई कार्यो की प्रधानता निहित है।
पाप पुण्य का लेखाजोखा होता है व कर्म के अनुसार पुर्नजन्म में भोगना व पाना होता है।
मानव जीवन मोक्ष प्राप्ति मार्ग का माध्यम है।
अच्छे कर्म से मोक्ष की प्राप्ति निश्चित होती है।
सामाजिक कार्यो का संचालन होता है।
मानव शरीर के रहस्य की जानकारी प्राप्त होती है।
प्राकृति विकास व ऊर्जा शक्ति का ज्ञान होता है।
शरीर निर्माण की ईकाई है जैसे- कौशिका, ऊतक, अंगों, संरचना, आकृति (मानव शरीर)।
सतपुरूष द्वारा सृष्टि निर्माण में स्त्री-पुरूष निर्माण कर नई सांसारिक जीवन मुख्य उद्देश्य है।
मानव जीवन प्रदान करना प्रकृति का मुख्य उद्देश्य है।