MHRS प्रवर्तक जनक श्री ज्ञानी दास मानिकपुरी आत्मज श्री जागर शाय मानिकपुरी, का जन्म 28.06.1983 को भारत देश के छत्तीसगढ़ राज्य के अन्तर्गत अम्बिकापुर शहर के जिला सरगुजा ब्लॉक, तहसील, थाना राजपुर के छोटे से गांव गोपालपुर (रेडीपारा) में एक गरीब किसान परिवार में हुआ। माता श्रीमती फिटको बाई के सबसे छोटे पुत्र है। जिनका जीवन गरीबी से गुजरा हुआ व आज अपने क्षेत्र के साथ-साथ सम्पूर्ण मानव जगत में इन्होने अपनी 15 वर्ष की निरन्तर सेवाये कार्य ग्राम से शहर तक अनेक सामाजिक कार्यक्रम का आयोजन निःशुल्क एक्यूप्रेशर शिविर द्वारा अपनी जीविका व जन कल्याण कार्य करते हुए उन्होने 20 वर्ष की मेहनत व लगन, मनन, चिन्तन कर अपनी पहचान पूर्व में ही 23 फरवरी, 2015 को अपनी रिसर्च एडवान्स एक्यूप्रेशर फॉर न्यूरोजिकल डिस्ऑडर एक्यूट एण्ड क्रोनिक डिजीस इन हेल्थ बेनिफिट्स शोध कार्य द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर गोल्ड मेडल कोलकत्ता के साईंस सिटी ओडोटोरियम में प्राप्त हुआ व इन्होने 4 विषय में स्नात्कोतर (पी.जी.) की शिक्षा ग्रहण कर आत्म विश्वास व गहन शिक्षा द्वारा आधुनिक चिकित्सा स्वास्थ शिक्षा में बहुत ही उपयोगी विषय पर अपनी पहचान शुरू हो रही है,
जिसमें मुख्य रूप से मानव शरीर की आंतरिक व बाह्य गतिविधियों को नियमानुसार व क्रमशः योगा साईंस व मानव शारिरिक उर्जा (शक्ति) व कार्यकलापों की गहन अध्ययन द्वारा सुविचार पूर्वक जन कल्याण व आम नागरिकों व असाध्य बिमारियों का सफल उपचार 20,000/- से ज्यादा रोगियों को स्वास्थ्य लाभ दिये है व उचित परामर्श सेवाये समय-समय पर देते आ रहे है। इन्होने स्वास्थ्य चिकित्सा के क्षेत्र में विशेष बल देते हुए आधुनिक चिकित्सा प्रणाली में सरल व सस्ती उच्च गुणवत्ता चुक्त, हानिरहित बिना दवा स्वास्थ्य सेवायें की नई पहल की गई है। जिसका नामकरण अष्टांग योग मेरिटेशन एवं आध्यात्मिक गुरू स्वामी मंगला नन्द के द्वारा आर्शीवाद स्वरूप देते हुए विश्व कल्याण व स्वास्थ्य लाभ के क्षेत्र में वैज्ञानिक तर्क की दृष्टि से स्वीकार करते हुए अपनी सहानुभुति पूर्वक व्यक्त व नूतन पत्रिका 1986 में इनका प्रमाण शासकीय रिकॉर्ड में प्रकाशित किया गया है। इन्ही के द्वारा वर्तमान में ज्ञानी दास मानिकपूरी जी अष्टांग योग मेरिटेशन के क्षेत्र में अपनी सेवाये व कार्यक्रमों का आयोजन कर स्वास्थ्य के क्षेत्र में जागरूकता लाने का प्रयास किया जा रहा है।